लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
बजें नगाड़े – दुंदुभी, गुंजित नभ के छोर।।
पलक-पाँवड़े मग बिछा, खड़ा सज्ज हो द्वार।
राम-दरश की कामना, करता हर परिवार।।
© डॉ. सीमा अग्रवाल
लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
बजें नगाड़े – दुंदुभी, गुंजित नभ के छोर।।
पलक-पाँवड़े मग बिछा, खड़ा सज्ज हो द्वार।
राम-दरश की कामना, करता हर परिवार।।
© डॉ. सीमा अग्रवाल