Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2024 · 1 min read

लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।

लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
बजें नगाड़े – दुंदुभी, गुंजित नभ के छोर।।

पलक-पाँवड़े मग बिछा, खड़ा सज्ज हो द्वार।
राम-दरश की कामना, करता हर परिवार।।

© डॉ. सीमा अग्रवाल

1 Like · 134 Views
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

#विषय:- पुरूषोत्तम राम
#विषय:- पुरूषोत्तम राम
Pratibha Pandey
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
घरौंदा
घरौंदा
Dr. Kishan tandon kranti
सभी फैसले अपने नहीं होते,
सभी फैसले अपने नहीं होते,
शेखर सिंह
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
अध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन का उद्देश्य - रविकेश झा
अध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन का उद्देश्य - रविकेश झा
Ravikesh Jha
ശവദാഹം
ശവദാഹം
Heera S
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
bandi tharun
शतरंज
शतरंज
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
यमराज का प्रश्न
यमराज का प्रश्न
Sudhir srivastava
किसी भी कीमत पर तेरी होना चाहती हूं
किसी भी कीमत पर तेरी होना चाहती हूं
Jyoti Roshni
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
देखेगा
देखेगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
घरेलू आपसी कलह आज बढ़ने लगे हैं...
Ajit Kumar "Karn"
दूसरों की राहों पर चलकर आप
दूसरों की राहों पर चलकर आप
Anil Mishra Prahari
*** सफलता की चाह में......! ***
*** सफलता की चाह में......! ***
VEDANTA PATEL
वंदना
वंदना
Parvat Singh Rajput
भय
भय
Rambali Mishra
संसार
संसार
Dr. Shakreen Sageer
■ शुभागमन गणराज 💐
■ शुभागमन गणराज 💐
*प्रणय*
मैं समझता हूँ, तुम सफल होना चाहते हो। तुम्हें अपने सपनों तक
मैं समझता हूँ, तुम सफल होना चाहते हो। तुम्हें अपने सपनों तक
पूर्वार्थ
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
Shreedhar
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
Dr Archana Gupta
वफा माँगी थी
वफा माँगी थी
Swami Ganganiya
मोहमाया के जंजाल में फंसकर रह गया है इंसान
मोहमाया के जंजाल में फंसकर रह गया है इंसान
Rekha khichi
मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
Akash Agam
श्राद्ध पक्ष मे मान
श्राद्ध पक्ष मे मान
RAMESH SHARMA
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बहुत टूट के बरसा है,
बहुत टूट के बरसा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...