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21 Jan 2024 · 1 min read

लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।

लला गृह की ओर चले, आयी सुहानी भोर।
बजें नगाड़े – दुंदुभी, गुंजित नभ के छोर।।

पलक-पाँवड़े मग बिछा, खड़ा सज्ज हो द्वार।
राम-दरश की कामना, करता हर परिवार।।

© डॉ. सीमा अग्रवाल

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