ललकार
आर्यावर्त सप्त, सैन्धव, भारत खंडे, भारत कहलाया है
इसकी पावन माटी को माता कहकर बुलाया है
चरण पखारे लहराता सागर, हिम श्रंग ने मुकुट सजाया है
पश्छिम में भू स्वर्ण कच्छ की, पूरब में गंग की अंतिम धारा है
इसकी पावन माटी……………………………………….
शक, हूँण और यूनानियों ने इसका गौरव ही गाया हा
भले लूटने म्लेच्छ भी आये अंग्रेजों ने भी शीश झुकाया है
इसकी पावन माटी ……………………………………….
अखण्ड संस्कृति खण्ड सभ्यता अतुल्य श्रंगार सजाया है
शस्य श्यामला इस माटी को असंख्य वीरों को जाया है
इसकी पावन माटी……………………………………
विश्व गुरु हम शांति प्रणेता किन्तु शस्त्रों को भी उठाया है
बन रणचंडी औ हलाहल शिव का पिया गरल का प्याला है
इसकी पावन माटी ………………………………………..
देते चेतावनी अंतिम तुमको मात सहनशीलता आजमाओ
हम राणा शिवा अशोक के वंशज भय को हमने हराया है
इस पावन माटी …………………………………………..
भूल जाओ केसर घाटी में क्यों आतंक मचाया है
कायर नहीं हिंदुस्तान हर युद्ध में तुमको हराया है …
आर्यावर्त सप्त सैन्धव भारत खंडे, भारत कहलाया है
इसकी पावन माटी को माता कहकर बुलाया है
डा. प्रतिभा प्रकाश