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19 Mar 2022 · 1 min read

ललकार

मुट्ठी भर लोगों की दुनिया
सदियों तक रही ग़ुलाम यह!
मज़हब और सियासत की
साज़िश से हुआ काम यह!!
गैरत, ज़मीर या खुद्दारी
इसके पास कुछ है कि नहीं!
कितनी ठोकरें खाने के बाद
आख़िर जागेगी अवाम यह!!
Shekhar Chandra Mitra
#ReleaseAllPoliticalPrisoners
#FreedomOfExpression

Language: Hindi
147 Views
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