ललकार
मुट्ठी भर लोगों की दुनिया
सदियों तक रही ग़ुलाम यह!
मज़हब और सियासत की
साज़िश से हुआ काम यह!!
गैरत, ज़मीर या खुद्दारी
इसके पास कुछ है कि नहीं!
कितनी ठोकरें खाने के बाद
आख़िर जागेगी अवाम यह!!
Shekhar Chandra Mitra
#ReleaseAllPoliticalPrisoners
#FreedomOfExpression