ललकार की पुकार
पुकार रही हैं देश की माटी,
ललकार मिटाना दुश्मन को।
कर्ज बहुत हैं इस माटी के,
ललकार चुकाना तुम उन को।।
मर्द बहुत हैं इस माटी में,
ललकार जगाना अब इनको।
अब ये ही तो फर्ज हमारा,
ललकार भगाना दुश्मन को।।
जन्मभूमि हैं यह अपनी,
ललकार समझाना दुश्मन को।
एकता बहुत हैं भारत में,
ललकार दिखाना दुश्मन को।।
प्यार बहुत हैं दिलों में अपने,
ललकार जताना दुश्मन को।
बुरी नहीं हैं नजर हमारी,
ललकार बताना दुश्मन को।।
पर उनकी हैं बुरी नजर,
ललकार बताना दुश्मन को।
प्यार बहुत हैं हम लोगों में,
ललकार दिखाना दुश्मन को।।
लोभ नहीं हैं जान का हमको,
ललकार बताना दुश्मन को।
प्यार भी हैं दिलों में अपने,
ललकार दिखाना दुश्मन को।।
गुस्सा बहुत हैं दिल में अपने,
ललकार दिखाना दुश्मन को।
फौलादी हैं मजबूत इरादे,
ललकार गिरना दुश्मन को।।
डटे रहे हैं डटे रहेंगे,
ललकार गिराना दुश्मन को।
पाप नहीं हैं दिल में अपने,
ललकार दिखाना दुश्मन को।।
डरते नहीं हैं उनसे हम,
ललकार डरना दुश्मन को।
बैर नहीं हैं मन में अपने,
ललकार सुनना दुश्मन को।।
नहीं झुके हैं नहीं झुकेंगे,
ललकार झुकाना दुश्मन को।
नहीं रुके हैं नहीं रुकेंगे,
ललकार रोकना दुश्मन को।।
नहीं हटे हैं नहीं हटेंगे,
ललकार हटाना दुश्मन को।
बहुत दबे हैं अब तक हम तो,
ललकार दबाना दुश्मन को।।
ना हारे हैं ना हारेंगे,
ललकार हराना दुश्मन को।
पीछे से ना वार किया हैं,
पीछे से ना वार करेंगे,
ललकार बताना दुश्मन को।।
ललकार भारद्वाज