*”लम्हें”*
लम्हें
वो सुनहरे बीते हुए खुशियों के लम्हें में खोए हुए ,
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों के सहारे नैनो में संजोए हुए।
रिश्ते नाते वो कसमें वादे पूरे कर
रिश्तों की डोरी में बांधे हुए।
नित नए उमंगों के साथ अपनापन लिये एहसास लिए हुए।
हर लम्हा अपनी दास्तां सुना कहता फरियाद लिए हुए।
कभी गुमसुम खामोश हो कभी मदमस्त मगन खिलखिलाते हुए।
बीते हुए उन खुशनुमा माहौल हसीन पलों को संवारते हुए।
जिंदगी के उन खास पलों सुनहरे लम्हों से खुशियाँ ढूढ़ते हुए।
शशिकला व्यास