लम्हा लम्हा कम हो रहा है
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
हर कोई आज अपने आप को खो रहा है
जीने की चाहत में जीना भूल रहे है
ना जाने हम कौनसे सुकून की तरफ़ जा रहे हैं
ना चैन से जी रहे है और ना ही फुर्सत मिल पा रही है
बस लक्ष्य बना दिया है जीवन को
और ये जिंदगी रस्म निभा रही है
लम्हा लम्हा कम हो रहा है,
आज एक चेहरा हंसा तो दूजा रो रहा है।