*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा
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लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा,
हँसता मुखड़ा भी तो है उतर जाएगा।
मन के भावों से खिलता सदा आँगन,
सुंदर सपनों का घर भी बिखर जाएगा।
तेरे आने से रोशन हो गया तन – मन,
अंधेरा बस्ती मे पूरा पसर जाएगा।
सहते – सहते थक से हम गये हम दम,
लांछन बेगैरत का भी निखर जाएगा।
काले बादल छाये हैँ गगन में बोझिल,
बिगड़ा भाग्य भी दर पर संवर जाएगा।
संंभाला मनसीरत ने बहुत ज्यादा,
गम दिल मे जो है वो उभर जाएगा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)