*लब मय से भरे मदहोश है*
लब मय से भरे मदहोश है
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लब मय से भरे मदहोश हैँ,
कुछ ना कह रहे खामोश हैँ।
मतवाले बहुत दो नैन हैँ,
जो देखे वही बेहोश हैँ।
हर कोई हुआ आतुर बहुत,
यूँ खोने लगे सब होश है।
आ जाओ जरा तुम पास में,
बांहों के खुले आगोश हैँ।
खुश है देख मनसीरत जिसे,
प्यारे दो बहुत खरगोश है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)