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15 Nov 2018 · 1 min read

लबों की प्यास में आ

तू कोई ख़ुशबू सा बनकर मेरे हर एहसास में आ
तुझे जो भी हो पसन्द उस लिबास में आ

मैंने तेरे लिए दिल में दीवान ए ख़ास बना रक्खा है
ऐ मेरे सनम आ दीवान ए ख़ास में आ

मुद्दतों से बेपनाह मैं बस पिघलना चाहता हूँ
तू आ जा औऱ क़रीब आ मेरे पास में आ

मैं मरना चाहता हूँ,तुझें आग़ोश में भरना चाहता हूँ
तू भी भर ले मुझें आग़ोश में मेरी साँस में आ

लब कितनें सूखे सूखे हैं ,हलक भी सूखा सूखा है
आ लब से लब टकरा तू लबों की प्यास में आ

ऐ जीती जागती मैक़दे में शराब सी तुझें पी जाऊँ
आ झूमती बोतल से निकलकर गिलास में आ

कब तक तड़पायेगी मेरी जाँ ख़ुद से दूर रक्खकर
मैं परेशां हुआ,तू भी तो आ कभी रास में आ

~अजय “अग्यार

1 Like · 311 Views
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