***लफ्ज***
लफ्जों के ना होते दाँत
फिर भी लेते हैं ये काट,
दीवारें खडी किये बिना ही
सबको देते हैं ये बाँट |
मन के भाव भाव से बोलें,
भेद दिलों के लफ्ज ही खोलें |
अच्छा बोलें बोलें सच्चा,
वरना रहना मौन ही अच्छा |
पर हर पल नही है चुप भी रहना ,
और हर जायज नाजायज सहना |
जायज बात पर जुबां को खोल,
बोल कर तोल मोल के बोल|
तेरा हर लफ्ज ही ‘मीनाक्षी’ बन जाएगा नारा,
जब हर तरफ गूंजेगा सच का जयकारा |
डॉ मीनाक्षी कौशिक रोहतक