लफ्जो को समेटकर कुछ लिखूंगा ।
लफ्जो को समेटकर कुछ लिखूंगा ।
कभी गीत कविता एक नज़्म भी लिखूंगा ।
ऐसे ही नहीं पिरो लिए जाते गीत कविताओं नज्मों के धागों में शब्दों के मोती ।
लिखने से पहले इन सबको खोजूंगा।
अल्फाजो की गहराई बहुत होती है । इन्हीं में डूब के । एक कहानी भी पूरी करूंगा ।
लफ्जो को समेटकर कुछ लिखूंगा …….!
कुछ किस्से कहानिया मुझे भी लिखनी है।
कुछ अधूरे किस्से पूरे करने है ।
इनके लिए लफ्जो को वापस समेटूंगा ।
…. लफ्जो को समेटकर में भी कुछ लिखूंगा ।
डायरी कब से चुप सी है । कलम भी कबसे बेताब है ।
लफ्ज़ मिले तो सही ।ये दोनों तो कब से बेकरार है ।।