“लफ्ज़…!!”
अब जो पूछोगे कि क्या शिकायत है तुम्हें,
लफ्ज़ बचें नहीं है अब ज़हन में मेरे,
जमाना जानता है लफ़्ज़ों का खेल अच्छे से,
लोग पल -पल में लहज़े बदलते है लफ़्ज़ों के !
जिन लफ़्ज़ों में जान ना हो.. उन्हें जोर से कहने पर भी सुनते नहीं है लोग,
कभी बिना कुछ कहे पूरी बात समझा जाते है लोग !
कहा जाए तो लफ्ज़ अनमोल होते है,
पर जहाँ लहज़ा ना हो वहां बेमोल होते है !
लहज़ा सही हो तो.. झूठी तारीफ़े भी सच्ची लगती है,
लहज़ा बिगड़ा तो.. छोटी -छोटी बातें भी चुभने लगती है !
कुछ लफ़्ज़ों का ढिंढोरा पीट-पीटकर.. तख़्त-ओ-ताज़ तक पा जाते है,
और कोई सच्चाई का दामन पकड़कर भी कंगाल ही रह जाता है !
इन लफ़्ज़ों की शराफत तो देखिये जनाब…
हर लफ्ज़ से झलकता है चरित्र बन्दे का,
इन लफ़्ज़ों पर ही टिकी रिश्तों की कायनात है !
चापलूसी करने वाला हमेशा नज़रों में बना रहता है,
वहीं काम-से-काम रखने वाला नज़रों से घिरा रहता है !
कुछ रिश्तों में लफ़्ज़ों से महल खड़े हो जाते है,
और कुछ रिश्तों में लफ़्ज़ों से दरारे पड़ जाती है !
सीधे-साफ लफ़्ज़ों में कहीं बात लोगों को समझ नहीं आती,
और कभी- कभी उलझाने वाली बातों पर भी लोग वाह!वाह! करते है !
बातें कितनी ही कर लो आप.. सही लफ़्ज़ों का चयन ही बातों की ख़ूबसूरती बढ़ाता है,
वरना सबको पसंद आने वाली बातें भी तुच्छ लगने लगती है!
लफ्ज़ सही आवाज़ से निकले तो एक ताकत बनती है,
अगर गलत की आवाज़ बन जाये तो कई कश्तीयाँ डूबती है !
कुछ सिरफिरो के मत्थे चढ़ जाये तो कई दिलों पर छूरियां चलती है,
वही लफ्ज़ अपना जादू चलाये तो गैरों में भी वफ़ाये पलती है!
लफ्ज़ उलझ जाये आपस में तो साज़ नहीं बनते है,
अगर बिखर जाये साज़ तो राग नहीं बनते,
फिर कभी राग़ लड़खड़ा जाये तो सच्चे जज़्बात नहीं निखरते!
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❤️ LOVE RAVI ❤️