लफ्ज़ों की जिद्द है कि
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लफ्ज़ों की जिद्द है कि
आंखों को अब बोलना होगा,
मुनासिब न होगा
दुश्वारियों को मुसलसल सहते जाना।
–श्वेत कुमार सिन्हा
लफ्ज़ों की जिद्द है कि
आंखों को अब बोलना होगा,
मुनासिब न होगा
दुश्वारियों को मुसलसल सहते जाना।
–श्वेत कुमार सिन्हा