लफ़्ज़ों में पिरो लेते हैं लफ़्ज़ों में पिरो लेते हैं एहसास के मोती । हमें इज़हार-ए-तमन्ना का सलीक़ा नहीं आता ।। डाॅ फौज़िया नसीम शाद