लता सा न कोई सानी
लता सा न कोई सानी
****************
कोयल सी मधुर वाणी
लता सा न कोई सानी
जब जब वो कुछ गाए
हर दिल को करे पानी
सुर सम्राज्ञी कहलाए
सारी दुनिया दीवानी
एक छत्र राज करती
सुर लय की है ज्ञानी
घुँघरू सी खनकती
सुरमयी नाद है जानी
सुरताल की मल्लिका
संगीत की है महारानी
स्वर,संस्कार का संगम
सादगी भरी है मस्तानी
कंठ में बसे सरस्वती
खुदा की है मेहरबानी
भारतरत्न से अलंकृत
विश्वस्तरीय है निशानी
राष्ट्रीय आवाज है बनी
शमाँ की जैसे परवानी
सिने की पार्श्वगायिका
छुई बुलंदी आसमानी
मराठी कुल में जन्मी
लतामंगेशकर सुज्ञानी
मनसीरत है नतमस्तक
गायिकी जैसै गुरबाणी
*****************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)