लड्डू गोपाल…
जब से आया मेरे आँगन
रे तू लड्डू गोपाल
ना कोई दुःख,
ना कोई चिंता
जीवन बना खुशहाल…
तेरी मोहक मुस्कानें
दिनभर मुझे हँसाती हैं
बात- बात पर मैया- मैया
कहकर मुझे बुलाती हैं…
जो सोचूँ और चाहूँ मैं
तू पूरा करते जाता है,
निश्चिंत हूँ मैं, क्यूँकि तू
बेटे का फ़र्ज़ निभाता है…
अगणित तेरी लीलाओं का
कैसे वर्णन कर पाऊँ,
भावों को जो मुखरित करें
कहाँ से वो शब्द लाऊँ…
बस जीवन के अंतिम क्षण में
अपने पास बुलाये जब
खुद हाथ पकड़ ले चलना तू
मोह मुझे सताये तब…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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