लड्डू का भोग
लड्डू का भोग लगाऊँगा ,
माँ खाना नहीं खाऊँगा ,
लड्डू देख मुंँह में आए पानी,
एक नहीं दो चार मैं खाऊंँ,
गोल-गोल दिखने में लड्डू ,
मीठे स्वाद में स्वादिष्ट है लड्डू ,
हलवाई दादा देर न लगाओ ,
दे दो लड्डू प्रसाद मैं खाऊंँ ,
मन ही मन फूट रहे लड्डू ,
एक और मिल जाए खाने को लड्डू ।
रचनाकार ,
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।