लड़ लेंगे तुझसे ए जिंदगी……
लड़ लेंगे तुझसे ए जिंदगी
आँखों में आँखें डाल के
रजा मंजूर हो न हो
जंग के लिए ललकार है
करती रही दगा तू
मुझसे हर मोड पे
तेरी दुश्मनी भी
अब स्वीकार है
वफा तुझे रास न आई
करती रही तू बेवफाई
मुहब्बत क्या होती है
तुने ही सिखाया था
तेरे लिए ही मैने
अपने जज्बातों को दबाया था
किया था वादा साथ न तेरा छोड़ेंगे
कर ले तू कुछ भी हम मुँह न मोड़ेंगे
वक्त की तराजू मे तुने हमेशा तोला
ये बता मैने कब मुँह है अपना खोला
पल पल तुने मुझे सताया
मैं नही हुआ खफा कभी
हमेशा तुझे गले से लगाया
करती रही तू सितम
मै मुस्कुराता रहा
किया था जो वादा तुझसे
वो निभाता रहा…………… ………… …
निखिल कुमार अंजान………