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31 Jul 2018 · 1 min read

लड़ाई के लिए

लड़ाई के लिए खुदको सदा तैयार कहते हैं।
खुदी को सूरमा अक्सर बही हरबार कहते हैं।।

बताऊं हाल तुमको मै अगर जो दुश्मनों का तो।
बुराई हैं भरी मुझमें सरे बाजार कहते हैं।।

जिन्हें आता नहीं कुछ भी जमाने के लिए दिलबर।
बही हर हाल में खुद को यहां अख़बार कहते हैं।।

नहीं पढ़ती मुझे नज़रें जिन्हें हरबार पढ़ता हूं।
बही नज़रे जिन्हें अपना हजारों बार कहते हैं।।

बहुत हंसते रहे वो देखकर मेरी ग़ज़ल यारो।
खुदा के बाद अपने आप को हुशियार कहते हैं।।

इजाफा प्यार में दूरी कराती है सदा लेकिन।
मुहब्बत ये नहीं होती इसे दीवार कहते हैं।।

## कवि गोपाल पाठक (कृष्णा)

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