लड़ना है तो लड़ें सिंह से
लड़ना है तो लड़ें सिंह से, बकरे से क्या लड़ना
एक बार मरना निश्चित है, बार-बार क्यों मरना
बकरे की माॅं खैर मनाती, मगर न बकरा बचता
सबल सिंह की बात और है, मानव उससे डरता
मुश्किल लगता हर मनुष्य को, प्राण सिंह के हरना
एक बार मरना निश्चित है, बार-बार क्यों मरना
निर्बल के बल राम स्वयं हैं, उनसे नाता जोड़ें
अगर कर सकें, करें सिंह बध, पकड़ें उसे, न छोड़ें
साहस कर हम सिंहद्वार पर, देकर देखें धरना
एक बार मरना निश्चित है, बार-बार क्यों मरना
सिंह और खरहे का किस्सा, सुना सभी ने होगा
देखा हुई सिंह की दुर्गति, किया किसी ने होगा
सीखें बुद्धिमान खरहे-सा, बन यश अर्जित करना
एक बार मरना निश्चित है, बार-बार क्यों मरना
सिंह हुआ हो यदि नरभक्षी, तो संहार जरूरी
हिम्मतवर बन आगे आएं, शक्ति लगा दें पूरी
मानवता के कष्ट सर्वविधि, होगा हमको हरना
एक बार मरना निश्चित है, बार-बार क्यों मरना
महेश चन्द्र त्रिपाठी