लड़की का घर
लड़की के जीवन में, शादी एक नया मोड़, नए रिश्तों का समंदर, खुशियों का होड़। माँ-बाप का प्रेम, रिश्तों का आधार, लेकिन अंधा प्रेम, बन सकता है भार।
जहाँ बना है घर, वहाँ विवेक का वास, समझदारी का प्रकाश, दूर करे अंधकार। जहाँ बिखरा है रिश्ता, वहाँ अंधा प्रेम, अज्ञानता का घेरा, कर दे जीवन बेचैन।
आजकल गलत-सही, समझने की धुन, प्रेम के चक्कर में, भूल जाते हैं सच का सपून। सलाह देते हैं जल्दबाजी में, बिना सोचे समझे, रिश्ते कमजोर होते हैं, टूट जाते हैं सपने।
रिश्तों में विवेक रखो, बुद्धि का ना सहारा, समझदारी से सुलझाओ, हर मुश्किलें सारी। प्रेम का आधार हो विश्वास, और सम्मान, तभी बनेंगे रिश्ते मजबूत, और जीवन सुखमय।
माँ-बाप का कर्तव्य है, बेटी को समझाना, रिश्तों का महत्व, और विवेक का सिखाना। प्रेम से सजाओ जीवन, अंधेरे को मिटाओ, विवेक की रोशनी से, रिश्तों को जगमगाओ।
रिश्तों की डोरी, प्रेम और विवेक की खोरी, इन दोनों से मिलकर, बनते हैं रिश्ते मधुर। समझदारी रखो, और प्यार से अपनाओ, तभी जीवन होगा खुशहाल, और रिश्ते रहेंगे सदैव हरा भरा।