लड़कियों के प्रकार
आपके हिसाब से दो तरह की लड़कियाँ होती हैं, एक वे जो रिचार्ज के लिए लड़कों का ‘इस्तेमाल’ करतीं हैं और एक वे जो ‘स्त्रियोचित’ गुणों से भरपूर होती हैं यानी सीता, द्रौपदी टाइप। बीच का तो कोई शेड ही नहीं है, है ना?
क्या साड़ी पहन कर ओलंपिक में भाग लें? महिलाओं की शिक्षा और आर्थिक आज़ादी बहुत ही बुनियादी चीज़ें हैं। ये बुनियादी हक भी उन्हें आपकी दया की भीख में नहीं मिलें हैं। उन्हें लड़ना पड़ा है खुद के लिए और उनका साथ दिया है ईश्वरचंद्र विद्यासागर, राजाराम मोहन राय जैसे पुरूषों ने।
सच बताइए…….
आप डरतें हैं ना औरतों को इस तरह बेफिक्र होकर जीते देख?
आप बर्दाश्त नहीं कर पातें ना कि कोई महिला बिस्तर में अपनी शर्तें कैसे रख सकती है?
आपका इगो हर्ट होता अब मै अपने शब्दो क़ो यही विराम देता हूँ नही तो आप कहेंगे एक पुरुष होकर नारी के पीड़ा क़ो ऐसे व्यक्त कर रहे हो जैसे तुम पर ये सब हुँआ है,,
मैं शून्य हूँ