लड़कियों के प्यार से डरता हूँ मैं
लड़कियों के प्यार से डरता हूँ मैं !
आज की तलवार से डरता हूँ मैं !!
चाहता हूँ बोल दूँ उसको खुदा ,
किन्तु इस सत्कार से डरता हूँ मैं !!
संगिनी उसको बनाना चाहता ,
पर समय की मार से डरता हूँ मैं !!
पल मे रिश्तों को ये पीछे छोड़ता ,
वक्त की रफ्तार से डरता हूँ मैं !!
पीछा करता जो बसन्तों का सदा ,
आह ! उस पतझार से डरता हूँ मैं !!
ये भले हों शोख औ मनहर नदी ,
किन्तु इनकी धार से डरता हूँ मै !!
जो न जुगनू की तरह झिलमिल करे ,
ऐसे हर अंधकार से डरता हूँ मै !!
जो न जुगनू की तरह हंसकर मिले ,
उस गुले-गुलजार से डरता हूँ मैं !!
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