*लटके-झटके इनके सौ-सौ, दामादों की मत पूछो (हास्य गीत)*
लटके-झटके इनके सौ-सौ, दामादों की मत पूछो (हास्य गीत)
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लटके-झटके इनके सौ-सौ, दामादों की मत पूछो
1
सर्वप्रथम यह तुनके इस पर, कार नहीं पाई है
फिर यह बोले नगद-राशि, थाली में कम आई है
कब-कब बिदके बिना बात यह, उन यादों की मत पूछो
2
यह आते ससुराल बवंडर, जैसे नभ मे छाते
खातिरदारी में डर कर सब, ससुर-सास लग जाते
जिह्वा गजब चटोरी इनकी, सुस्वादों की मत पूछो
3
बिना सिकोड़े नाक नहीं, ससुराल-शयन होता है
इनके मॉंगपत्र को पढ़कर सारा घर रोता है
करने पड़ते हैं जो इनसे, उन वादों की मत पूछो
लटके-झटके इनके सौ-सौ, दामादों की मत पूछो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451