*लटका कर झोला कंधे पर, घूम रहे हैं मेले में (गीत)*
लटका कर झोला कंधे पर, घूम रहे हैं मेले में (गीत)
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लटका कर झोला कंधे पर, घूम रहे हैं मेले में
1)
मेले में हैं चाट-पकौड़ी, ढेरों खेल-खिलौने हैं
कुछ हैं लंबे सात फुटी जन, चार फुटी कुछ बौने हैं
कुछ के साथ मित्र-संबंधी, तो कुछ दिखे अकेले में
2)
मेले में अनजान सभी यों, फिर भी अपनापन जागा
सबका ही उद्देश्य भ्रमण था, भेदभाव सब में भागा
कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखा, आए नए-नवेले में
3)
चार दिवस का था यह मेला, घंटे- दो घंटे घूमा
कहीं-कहीं झगड़ों में कुछ ने, तलवारों को भी चूमा
सबसे अच्छे रहे वही जो, पड़ते नहीं झमेले में
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451