#लघु_व्यंग्य
#लघु_व्यंग्य
■ शादी के बाद ढेर…
【प्रणय प्रभात】
“एक शेर था।
बड़ा ज़िद्दी, क्रोधी और अकडेल था।
किसी से सीधे मुंह बात करना,
उसकी शान के खिलाफ़ था।
माँ-बाप तक डरते थे,
उसकी खुशामद करते थे।
सारा मोहल्ला थर्राता था,
हर कोई उससे घबराता था!
वो साक्षात यमराज था,
उसका स्वभाव लाइलाज था!
अब वही शेर शांत है,
अकड़ छू-मन्तर हो चुकी है।
गुस्सा पूरी तरह भूल चुका है,
चुप रहना क़बूल चुका है।
कुछ ही साल हुए,
हालात से निबाह कर चुका है।
सूत्रों से पता चला है कि,
बेचारा विवाह कर चुका है।।”
■ प्रणय प्रभात ■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)