#लघु_कविता :-
#लघु_कविता :-
■ चेहरा…..!!
【प्रणय प्रभात】
“भावों को पढ़ना सरल नहीं,
कोई मत गढ़ना सरल नहीं।
अनुमान लगाना मुश्किल है,
अंतर तक जाना मुश्किल है।
मन बस कुछ देर बदलता है,
जो दिखता झूठ निकलता है।
आवरण अनेकों धारण कर,
उत्पन्न भरम के कारण कर।
कितने ही सच झुठलाता है,
मिथ्या को सच बतलाता है।
ना लेश-मात्र परिचायक है,
निश्चित मानो यह भ्रामक है।
कब कोई भेद खोलता है?
अब चेहरा झूठ बोलता है।।”
★ प्रणय प्रभात ★
श्योपुर (मध्यप्रदेश)