लघु कथा :- ” अंधममत्व नौनिहाल के लिए खतरा “…………
लघु कथा :-
” अंधममत्व नौनिहाल के लिए खतरा “…………
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” होईहें सोई जो राम रचि राखा ” दो साल के बच्चे के सिर से माता पिता का साया उठ गया ।
कहते हैं कि मौसी माँ समान होती है।उस बच्चे की परवरिश भी मौसी बड़े लाड़ प्यार से करने लगी।
अक्सर बच्चा दोस्तों से लड़ाई- झगड़ा करता ।छोटी -मोटी चीजें भी किसी की उठा ले आता ।
मौसी उसे नजर अंदाज कर देती थी। बच्चा जैसे जैसे बड़ा हुआ उसकी छोटी -छोटी गलती
गुनाहों में परिवर्तित होने लगा। गुण्डागर्दी चोरी डकैती में जेल जाना आम बात हो गयी ।
हद तो तब हो गया जब उसने सरेआम एक की हत्या कर दी। पुलिस उसे पकड़ कर ले गई।
मुकदमा चला और फिर उसे फांसी की सजा हो गई। फांसी से पहले उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई
तो उसने अपनी मौसी के कान में कुछ कहने की इच्छा जाहिर की। उसकी मौसी रोती बिलखती पहुँची
और ” कहो मेरे लाल क्या कहना है। ”
जैसे ही मौसी ने कान उसके पास ले गई उसने उसके कान काट खाया ।
मौसी जोर से चीखी और पूछी कि ” ऐसा क्यों किया तूने ”
तो उसने कहा कि ” बचपन में जब मैं लड़ाई- झगड़ा या आम -अमरूद की चोरी करता था।
उस समय यदि तुमने मुझे कान पकड़ कर मारा होता तो आज तुम इस तरह रोती नहीं होती
और मुझे फांसी नहीं होती। ”
कहते हैं ये घटना सच्ची है। कहानी सच्ची हो या काल्पनिक पर कुछ न कुछ संदेश अवश्य देती है ।
ये सच है कि माता ममता की मूरत होती है और बच्चे को मातृत्व प्रेम पाने का हक भी है।
पर माता गुरु भी होती है।
इसलिए छोटी छोटी गलततियों को नजर अंदाज न करके उसे सुधारना भी माता का ही कर्तव्य है
क्योंकि ” आज का नौनिहाल कल का भविष्य है। ” .—
#पूनम_झा।(कोटा ,राजस्थान )25-11-16
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