#लघुव्यंग्य-
#लघुव्यंग्य-
■ आ गया रामराज्य…।।
【प्रणय प्रभात】
बारिश थमते ही जब गर्मी होती है फुल,
हमारे कस्बेनुमा शहर की बत्ती हो जाती है गुल।
हमें पड़ जाता है लालटेन जलाना,
याद आ जाता है रामराज्य का ज़माना।
दादा-दादी, नाना-नानी, पता नहीं किसने कही थी, उ
रामराज्य में भी चिमनी जलती थी बेटा!
क्योंकि तब भी बत्ती नहीं थी।
मतलब जब भी पड़े लालटेन जलाना,
निराश ना हो कर केवल जश्न मनाना।
सिर के बाल हरगिज़ मत नोचना,
हर हाल में बस इतना सोचना।
बेशक़ उजालों पर अंधेरा छा गया,
कैसे भी आया हो रामराज्य तो आ गया।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)