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14 Aug 2024 · 1 min read

#लघुकविता-

#लघुकविता-
■ अजब विरोधाभास
【प्रणय प्रभात】
“कल”
ले कर पंगा,
कर के दंगा,
हाथ आग में ताप रहे।
“अब”
बिल्ला-रंगा,
लिए तिरंगा,
जन-गण-मन आलाप रहे।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊

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