लघुकथा
प्रदूषण
अमित- हाय, नितिन क्या तुमने सभी विषयों का गृह कार्य कर लिया?
नितिन- नहीं मित्र अभी हिंदी का गृह कार्य करना शेष है। अध्यापिका जी ने प्रदूषण विषय पर निबंध लिखने को कहा था पर समझ नहीं आ रहा कि क्या लिखूं।
अमित- अरे उसमें क्या है, कुछ भी लिख दो। हमारे चारों तरफ प्रदूषण ही प्रदूषण है।प्रदूषण ही तो प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है| किसी भी प्रकार का प्रदुषण हमारे प्राकृतिक वातावरण और इकोसिस्टम में अस्थिरता, स्वास्थ्य विकार और सामान्य जीवन में असुविधा उत्पन्न करता है| यह प्राकृतिक व्यवस्था को अव्यवस्थित कर देता है और प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ देता है|
नितिन- हां, सही कहा दादाजी जी भी बता रहे थे कि प्रदुषण के तत्त्व हम मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किया गया बाह्य पदार्थ या वेस्ट मटेरियल होता है जो की प्राकृतिक संसाधन जैसे की वायु, जल और भूमि आदि को प्रदूषित करते है| प्रदूषक का रासायनिक प्रकृति, सांद्रता और लम्बी आयु इकोसिस्टम को लगातार कई वर्षो से असंतुलित कर रहा है।
अमित- बिल्कुल सही।प्रदूषण जहरीली गैस, कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ध्वनि, कार्बनिक मिश्रण, रेडियोधर्मी पदार्थ हो सकते है| अरे वाह! हमने तो बातों बातों में निबंध तैयार कर लिया।(दोनों हंसने लगते हैं)
नितिन- धन्यवाद अमित तुम मेरे सबसे विशिष्ट मित्र हो।
नीलम शर्मा