Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2024 · 1 min read

#लघुकथा-

#लघुकथा-
■ क्या देखना…?
【प्रणय प्रभात】
चोखेलाल और अनोखेलाल एक सभा में आ रहे बड़े नेता को देखने पहुंचे। देर तक इंतज़ार के बाद नेता जी के आने के संकेत मिले। इसी दौरान पांडाल एक नारे से गूंज उठा। नारा था- “देखो-देखो कौन आया। शेर आया-शेर आया।” इस नारे को सुनते ही चोखेलाल उठा और पांडाल से बाहर की ओर चल दिया। पीछे से भाग कर अनोखेलाल ने इसकी वजह पूछी तो चोखेलाल तमतमा उठा और बोला- “मैं यहां एक आदमी को देखने और सुनने आया था। किसी जंगली जानवर के लिए नहीं।।” उसके इस जवाब से अनोखेलाल अवाक था जबकि चोखेलाल कपड़ों की धूल झाड़ कर घर की ओर कूच कर चुका था। उधर पांडाल में इंसानी भीड़ अपने उसी नारे से माहौल गुंजा रही थी और बिना पूंछ का शेर मंच पर घूम-घूम कर भीड़ की ओर पंजा हिला रहा था।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 92 Views

You may also like these posts

4720.*पूर्णिका*
4720.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
मैं कितना अकेला था....!
मैं कितना अकेला था....!
भवेश
रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
पं अंजू पांडेय अश्रु
चाहत।
चाहत।
Taj Mohammad
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
Harminder Kaur
कि तुम मिलो तो सही...
कि तुम मिलो तो सही...
पूर्वार्थ
ज़िंदगी इसमें
ज़िंदगी इसमें
Dr fauzia Naseem shad
वो खत मोहब्बत के जला आई हूं,
वो खत मोहब्बत के जला आई हूं,
Jyoti Roshni
आजादी का उत्सव
आजादी का उत्सव
Neha
आलम ए हिंद (व्यंग)
आलम ए हिंद (व्यंग)
goutam shaw
पूजा
पूजा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
दीप जगमगा रहे थे दिवाली के
दीप जगमगा रहे थे दिवाली के
VINOD CHAUHAN
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
Dr. Man Mohan Krishna
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
Ashwini sharma
" राज "
Dr. Kishan tandon kranti
इतनी भी
इतनी भी
Santosh Shrivastava
প্রশ্ন
প্রশ্ন
Arghyadeep Chakraborty
*राखी लेकर बहना है भाई के घर आई*
*राखी लेकर बहना है भाई के घर आई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जिंदगी-नौका बिना पतवार है ( हिंदी गजल/गीतिका )*
*जिंदगी-नौका बिना पतवार है ( हिंदी गजल/गीतिका )*
Ravi Prakash
"देह एक शीशी सदृश और आत्मा इत्र।
*प्रणय*
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
Phool gufran
क्या किसी जात का आदमी
क्या किसी जात का आदमी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*प्रेम*
*प्रेम*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
एक गीत
एक गीत
Shweta Soni
हँसकर गुजारी
हँसकर गुजारी
Bodhisatva kastooriya
दूब घास गणपति
दूब घास गणपति
Neelam Sharma
एक ही तारनहारा
एक ही तारनहारा
Satish Srijan
फटा आँचल- जली रोटी
फटा आँचल- जली रोटी
Usha Gupta
Loading...