#लघुकथा
#लघुकथा
■ एक मैं और एक वो
【प्रणय प्रभात】
हम हॉस्टल में रूम पार्टनर थे। मैं दोनों समय खाना बनाता था। वो बातें बनाता था। मैं धोए गए कपड़ों पर प्रेस बनाता था और वो बातें। मैं प्रोजेक्ट बनाने में रुचि रखता था। वो बातें ही बना पाता था। मैं हर तरह की बिगड़ी बना लेता था। उसे खाली बातें ही बनाना आता था।
कुछ बरसों के बाद मैं एक अदना सा लेखक बन कर रह गया। आज मैं कहानियां बनाता हूँ। जबकि वो आला दर्जे का नेता बन चुका है। जो देश बनाने के नाम पर जनता को बना रहा है। अपनी बातों से। दिन-दहाड़े, सरे-आम, सुबह-शाम, बस एक ही काम। बातें…बातें और बातें…!!
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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