#लघुकथा-
#लघुकथा-
■ क्या देखना…?
【प्रणय प्रभात】
चोखेलाल और अनोखेलाल एक सभा में आ रहे बड़े नेता को देखने पहुंचे। देर तक इंतज़ार के बाद नेता जी के आने के संकेत मिले। इसी दौरान पांडाल एक नारे से गूंज उठा। नारा था- “देखो-देखो कौन आया। शेर आया-शेर आया।” इस नारे को सुनते ही चोखेलाल उठा और पांडाल से बाहर की ओर चल दिया।
पीछे से भाग कर अनोखेलाल ने इसकी वजह पूछी तो चोखेलाल तमतमा उठा और बोला- “मैं यहां एक आदमी को देखने और सुनने आया था। किसी जंगली जानवर के लिए नहीं।।” उसके इस जवाब से अनोखेलाल अवाक था जबकि चोखेलाल कपड़ों की धूल झाड़ कर घर की ओर कूच कर चुका था। उधर पांडाल में इंसानी भीड़ अपने उसी नारे से माहौल गुंजा रही थी और बिना पूंछ का शेर मंच पर घूम-घूम कर भीड़ की ओर पंजा हिला रहा था।
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●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)