लघुकथा
?️?सच्ची भक्ती??️
एक गरीब राजू नाम का अपाहिज़ था
वो मेरठ के एक गांव ऐटा में रहता था।
वहां के लोगउसकी राम भक्ती देख उसे
पागल कहते थे,
वह रोज सुबह दस किलो मीटर प्रभु
राम के मंदिर जाता था परन्तु वह ज्यादा नहीं चल पाता ,
उसके पैर छिल जाते थे उसे लौग
चिढ़ाते ये लंगड़ा क्या दस किलो मीटर
भगवान के मंदिर जायेगा।
सब उस पर हंसते प्रभु श्रीराम की
भक्ति में डूबा वो अपाहिज रूकता नहीं
कभी हाथों के बल तो कभी रगड़कर
आगे बढ़ता राजू श्रीराम का परम भक्त
था,जब उसका साहस टूट जाता हिल
नहीं पाता तो प्रभु राम को पुकारता!!
और कहता मेरे प्रभु में आपके मंदिर नहीं आ पाऊंगा कभी
और रोने लगता हिम्मत करते हुए धीरे
से मंदिर का पथ पकड़ता,
रास्ते में पड़ा कोई भी पत्थर उठाता
वहीं राम को पूज श्रीराम भक्ति में लग
जाता ।
आश्चर्य तब होता जिस जगह वो
प्रभु राम को पूजता उसी जगह प्रभु
श्रीराम का मंदिर बन जाता
उसकी भक्ति से प्रसन्न हो प्रभु राम
कहते,मांगो वत्स जो वर मांगना हो!!
अपाहिज ने कहा आपके दर्शन
ही मेरे लिए संसार का वैभव है मुझे न
ऊंचे महल चाहिए और न धन दौलत,
प्रभु राम भाव विभोर हो गए और कहने लगे धन्य हो तुम तो मेरे सच्चे भक्त हो।
प्रभु श्रीराम की भक्ति को देख एक सज्जन बहुत खुश हुए और बोले कि
चलो में तुम्हारा इलाज कराता हूं
और उसका इलाज हुआ वो फिर
चलने लगा और खुश हो रोज मंदिर
जाता—
और हृदय से प्रभु की भक्ति करता
उसकी निस्वार्थ भक्ति रंग लाई,
और उसको लगा कि यही मेरी सच्ची
श्रीराम भक्ति है
फिर से वह राम भजन में खो गया
इस तरह वो प्रभु श्रीराम की सेवा में जुट गया!!!!!!
सीता राम -जय श्रीराम
मौलिक स्वरचित
सुषमा सिंह “उर्मि,,