लघुकथा
बात हजम नहीं हुई (लघुकथा)
रेलवे स्टेशन पर रमेश बाबू, सुबह-सुबह पूछताछ खिड़की की अपनी सीट पर, बैठे ही थे। उनका मोबाईल फोन घनघना उठा। स्क्रीन पर नाम था “पंडित जी”।
पूछताछ बाबू बुदबुदाने लगा, ये फोन किस लिए आया? चेहरे पर झुंझलाहट के भावों के साथ, स्क्रीन पर ऊंगली मार कर, फोन कान पर लगाया। सवाल दागा कौन?
दूसरी ओर से आवाज आई “मैं फलां ज्योतिषाचार्य बोल रहा हूँ। कल आप पत्नी के साथ हस्तरेखाएं दिखाने आए थे।
मैं पूछ रहा था कि इलाहाबाद यानि प्रयागराज जाने वाली रेलगाड़ी किस-किस समय जाती हैंॽ
पूछताछ बाबू ने कहा, “कल तो आप लाखों किलोमीटर दूर स्थित खगोलीय पिंडों की चाल तक बता रहे थे। आज रेलगाड़ी की चाल की भी पूछताछ कर रहे हो। बात कुछ हजम नहीं हुई।
ज्योतिषाचार्य ने हैल्लो-हैल्लो करके फोन काट दिया।
-विनोद सिल्ला©