Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2017 · 2 min read

लघुकथा- माँ हूँ

लघुकथा- माँ हूँ

ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

उर्मि ने डॉक्टर से सुना और परेशान हो गई. फिर उसी तरह समुद्र के किनारे बैठ गई जैसे हमेशा परेशानी में बैठा करती थी. हाथ में कंकर उठाया. लहरों को मार कर रोकना चाहा. मगर लहरे तेज हो गई. ऐसा लग रहा था जैसे वो मस्तिष्क में उठ रही विचारों की लहरों से स्पर्ध्दा कर रही हो.

“ मैं चाय के अलावा कोई व्यसन नहीं करती हूँ. फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ.” वह आँखे बंद कर के अपना सिर पति के कंधे पर टिका कर पूछ बैठी.
गमगीन पति ने धीरे से कहा,“ हम इस से छुटकारा पा लेंगे,” जिसे सुन कर उर्मि विचलित हो गई, “ मै माँ हूँ. सब सह लुंगी. मगर ऐसा पाप नहीं करुँगी.”
“मुंबई में पापपूण्य कोई मायने नहीं रखता है उर्मि.” पति ने मनाना चाहा.

“ इसी लिए लोग यहाँ धरती माँ के आँचल को मैला कर देते है.” कह कर अपने पैर के कचरे को वापस समुद्री लहरों के हवाले करते हुए उर्मि बुदबुदाई ,” इसी कारण यहाँ के पर्यावरण प्रदुषण के प्रभाव की विकृति मेरे पेट में पहुँच गई.” कहते हुए उस ने अपने पेट पर हाथ फेर कर उस में पल रहे बच्चे के अजीब से आकारप्रकार को महसूस करने की कोशिश की.
——————–

–ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
लघुकथा- माँ हूँ
उर्मि ने डॉक्टर से सुना और परेशान हो गई. फिर उसी तरह समुद्र के किनारे बैठ गई जैसे हमेशा परेशानी में बैठा करती थी. हाथ में कंकर उठाया. लहरों को मार कर रोकना चाहा. मगर लहरे तेज हो गई. ऐसा लग रहा था जैसे वो मस्तिष्क में उठ रही विचारों की लहरों से स्पर्ध्दा कर रही हो.
“ मैं चाय के अलावा कोई व्यसन नहीं करती हूँ. फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ.” वह आँखे बंद कर के अपना सिर पति के कंधे पर टिका कर पूछ बैठी.
गमगीन पति ने धीरे से कहा,“ हम इस से छुटकारा पा लेंगे,” जिसे सुन कर उर्मि विचलित हो गई, “ मै माँ हूँ. सब सह लुंगी. मगर ऐसा पाप नहीं करुँगी.”
“मुंबई में पापपूण्य कोई मायने नहीं रखता है उर्मि.” पति ने मनाना चाहा.
“ इसी लिए लोग यहाँ धरती माँ के आँचल को मैला कर देते है.” कह कर अपने पैर के कचरे को वापस समुद्री लहरों के हवाले करते हुए उर्मि बुदबुदाई ,” इसी कारण यहाँ के पर्यावरण प्रदुषण के प्रभाव की विकृति मेरे पेट में पहुँच गई.” कहते हुए उस ने अपने पेट पर हाथ फेर कर उस में पल रहे बच्चे के अजीब से आकारप्रकार को महसूस करने की कोशिश की.
——————–
–ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
पोस्ट ऑफिस के पास रतनगढ़
जिला- नीमच- ४५८२२६ (मप्र)
९४२४०७९६७५

Language: Hindi
576 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
Mamta Rani
'प्रेम पथ की शक्ति है'
'प्रेम पथ की शक्ति है'
हरिओम 'कोमल'
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नील पदम् के दोहे
नील पदम् के दोहे
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
gurudeenverma198
नफरतों के जहां में मोहब्बत के फूल उगाकर तो देखो
नफरतों के जहां में मोहब्बत के फूल उगाकर तो देखो
VINOD CHAUHAN
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिस्मानी इश्क
जिस्मानी इश्क
Sanjay ' शून्य'
छप्पय छंद विधान सउदाहरण
छप्पय छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा " चुप्पी का शोर "
Shyam Sundar Subramanian
🇭🇺 झाँसी की वीरांगना
🇭🇺 झाँसी की वीरांगना
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
Phool gufran
परखा बहुत गया मुझको
परखा बहुत गया मुझको
शेखर सिंह
Preschool Franchise India
Preschool Franchise India
Londonkids
होकर उल्लू पर सवार
होकर उल्लू पर सवार
Pratibha Pandey
हर तरफ भीड़ है , भीड़ ही भीड़ है ,
हर तरफ भीड़ है , भीड़ ही भीड़ है ,
Neelofar Khan
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
Dr Tabassum Jahan
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
जो कण कण में हर क्षण मौजूद रहता है उसे कृष्ण कहते है,जो रमा
Rj Anand Prajapati
" कायनात "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं को तुम
मैं को तुम
Dr fauzia Naseem shad
बेवफ़ा इश्क़
बेवफ़ा इश्क़
Madhuyanka Raj
*गाजर-हलवा श्रेष्ठतम, मीठे का अभिप्राय (कुंडलिया)*
*गाजर-हलवा श्रेष्ठतम, मीठे का अभिप्राय (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इधर एक बीवी कहने से वोट देने को राज़ी नहीं। उधर दो कौड़ी के लो
इधर एक बीवी कहने से वोट देने को राज़ी नहीं। उधर दो कौड़ी के लो
*प्रणय*
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आँखों में कुछ नमी है
आँखों में कुछ नमी है
Chitra Bisht
4199💐 *पूर्णिका* 💐
4199💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...