लघुकथा-नल की टोंटी
सुरेखा- ” रवि, मैंने कितनी बार कहा है कि नल की टोंटी में पानी कम आता है जिससे किचिन के काम में ज्यादा समय लगता है,सारी टोंटियां बदलवा लो, तेज धार बहेगी तो सब काम जल्दी से होंगे।”
रवि -“सुरेखा, मैंने मिस्त्री को फोन लगा दिया है,वह आता ही होगा।”
इतने में नल- मिस्त्री औजार लेकर आ गया और तुरंत ही उसने सिंक सहित बाथरूम की टोंटियाँ बदलकर उनकी जालीयाँ हटा दीं, अब नलों में तीव्र धारा के साथ पानी बहने लगा, यह देखकर सुरेखा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पानी का बहाव इतना तेज था कि 10 मिनिट में ही टंकी खाली हो गई।
उसी समय घर की बिजली गुल हो गई।
रवि के ऑफिस जाने का समय हो गया था, खाना बनाने एवं नहाने के लिए भी पानी नहीं बचा।
रवि -“सुरेखा ,मैंने जानबूझकर कम बहाव वाली टोंटियां लगवाई थीं, ताकि पानी की बचत हो सके।टंकी में एक बूंद पानी नहीं बचा है, अब अधिक समय तक मोटर चलने से बिजली खर्च भी बढ़ जाएगा, पानी की खपत भी अधिक होगी, क्या अब हमारा काम जल्दी हो पा रहा है?
सुरेखा को पानी का महत्व समझ आ गया था।