लघुकथा – अनबन
दोपहर साढ़े ग्यारह बज गए लेकिन सलोनी खाना नहीं बना पाई। रोहित ऑफिस के लिए जाने में लगभग रोज ही लेट हो जाता है ऑफिस जाने का समय सुबह 10.30 बजे है लेकिन रोहित का अपने कार्यालय 12 बजे पहुंच पाता है। यही सबसे बड़ी समस्या है रोहित ने कई बार सलोनी को समझाया कि सुबह के काम सुबह जल्दी किये जाते हैं दोपहर के दोपहर में लेकिन उसकी पत्नी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। जब घर में कपड़ा वाली लगी हो, बर्तन वाली लगी हो तब भी आप 11.30 तक स्नान से निवृत नहीं हो पाओगे और बिना स्नान किये किचिन में खाना बनाना कभी उसके यहां चलन नहीं रहा। होटल का खाना रोज रोज नुकसान करता है ।कई सालों तक उनमें मनमुटाव रहने का कारण यही रहा। उसने कई बार समझाया कि अगर पति समय पर कार्य पर नहीं जाएगा तो परिवार कैसे चलाएगा। जब बच्चे बड़े होने लगें तो कुछ छोटे काम उनसे भी करवा लेना चाहिए । ऐसा न हो कि लड़कियों को बड़े होकर पछतावा हो कि घर के काम तो सीखे ही नहीं घर कैसे चलाएंगे। लेकिन आज का मोबाइल और आलस्यपूर्ण जिंदगी संबंधों में कटुता लाने का सबसे बड़ा कारण है।पति पत्नी को सामंजस्यपूर्ण रहना चाहिए तभी घर चल पाता है। यही सोचकर रोहित उदास बैठा किसी अच्छे क्षण का इंतजार करने लगा।