लग जा गले
****** लग जा गले *****
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लग जा गले दूर जाने वाले
रुकिये जरा दूर जाने वाले
हुई है क्या खता तनिक बता
रूठ के ना जा दूर जाने वाले
मेघों की तरह अकड़े हुए हो
बरस जाओ दूर जाने वाले
आँखों में मेरी अश्रु की झड़ी
मुस्करा दो दूर जाने वाले
गिले शिकवों का वक्त नहीं है
गले से लगाओ दूर जाने वाले
मोहब्बत की परीक्षा घड़ी है
यूँ क्यों अड़े हो दूर जाने वाले
तेरी उपासना में दर पर खड़ी
मनसीरत बुला दूर जाने वाले
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)