लगे ना ग्रहण मेरे चाँद को,उसे दिल में छिपा लिया –आर के रस्तोगी
लगे ना ग्रहण मेरे चाँद को,उसे दिल में मैंने छिपा लिया
पड़े ना बुरी निगाह राहू-केतू की,उसे नयनों में समां लिया
आयेगा जब बुरा वक्त मेरे चाँद पर,लडूंगी आखरी वक्त तक
उसने मुझे दिल में समा लिया,मैंने उसे दिल में समां लिया
कहते है लोग मेरे चाँद पे काले धब्बे दिखाई देते है अनेक
ये तो मेरे लबो के निशाँ है,लोगो ने ये धब्बा बना लिया
झुलसता है जब मेरा चाँद,सूरज की तेज सीधी किरणों से
लो बीच में मै अब आ गई हूँ,उसे झुलसने से बचा लिया
कर दो मेरे चाँद को वापिस,बहुत दिनों तक दूर रख लिया
अब और न सताओ मुझे,लोगो ने पहले काफी सता लिया
भले ही मेरा चाँद मुझसे दूर है,मै तो उसके बहुत करीब हूँ
पहुँच गई हूँ उसके बहुत करीब मै,मैंने उसे अब पा लिया
लगे ना ग्रहण किसी के चाँद को,फिर चाँदनी कहाँ जायेगी ?
हर चाँदनी को चाँद मिले, रस्तोगी ने यह प्रण कर लिया
आर के रस्तोगी