लगे नाचने मोर
घनन घनन घन घूमकर, करे भयंकर शोर !
आनंदित चातक हुआ ,….लगे नाचने मोर !!
नीयत जिसकी साफ है, मकसद भी हो पाक !
जीवन का उसका कभी ,रुके न बढता चाक !!
रमेश शर्मा
घनन घनन घन घूमकर, करे भयंकर शोर !
आनंदित चातक हुआ ,….लगे नाचने मोर !!
नीयत जिसकी साफ है, मकसद भी हो पाक !
जीवन का उसका कभी ,रुके न बढता चाक !!
रमेश शर्मा