लगे घूमने तंत्र
बोलें किसको मूर्ख अब, किसे कहें विद्वान !
इस जग में जब एक सा, लगता हर इंसान !!
होने लगे विकास के वहाँ लुप्त तब यंत्र ।
जहाँ सियायी चाक पर ,लगे घूमने तंत्र ।।
रमेश शर्मा.
बोलें किसको मूर्ख अब, किसे कहें विद्वान !
इस जग में जब एक सा, लगता हर इंसान !!
होने लगे विकास के वहाँ लुप्त तब यंत्र ।
जहाँ सियायी चाक पर ,लगे घूमने तंत्र ।।
रमेश शर्मा.