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6 Jun 2017 · 1 min read

लगा है।

फिलबदीह -१३५
मिसरा- मरेंगे बिन तेरे लगने लगा है।

काफिया- अने।
रदीफ- लगा है।

दिल मेरा तो है, आज़ाद पंछी,
होकर उन्मुक्त, ये उड़ने लगा है।

जब से तुमसे मोहब्बत हुयी है
दिल कमल बनके खिलने लगा है।

तुम ही चाहत तुम्हीं दो जहां हो
दिल जिगर तुमपे मरने लगा है।

सब ही पढलेते है मेरी आंखें
इश्क आंखों में दिखने लगा है।

है सितारों से भरा जो नीला अंबर
मेरी चूनर सा वो दिखने लगा है।

बात जिया की कहना नीलम धीरे
ये जहां छिपकर सुनने लगा है।

नीलम शर्मा

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