लगा रहेगा
पाना खोना लगा रहेगा
ये प्रकृति का नियम है।
नहाना धोना लगा रहेगा
ये अपना नित्य कर्म है।
आना जाना लगा रहेगा
ये मानव का करम है।
उठना गिरना लगा रहेगा।
यही जीवन का मर्म है।
दान पुण्य लगा रहेगा।
मानव का बड़ा धरम है।
खाना पीना लगा रहेगा
इसमें काहे का शर्म है।
हार जीत लगा रहेगा।
ये परिश्रम का फल है।
खुशी गम आते रहेंगें
ये जीवन का रीत है।
हँसना गाना लगा रहेगा
यही जीवन संगीत है।
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रवि शंकर साह, रिखिया रोड़, बलसारा,
बैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड 814113