लगा, गलत हूँ! ?
पता चली जो गलत लिखाई, लगा गलत हूँ
तुमने हटा आरी सी चलाई, लगा गलत हूँ।
पता चला की भटक गया हूँ, लगा गलत हूँ
तुमने सच्ची राह दिखाई, लगा गलत हूँ।
भूल गया था तुम मालिक हो, मैं सेवक हूँ
कर गया सीधेमन चतुराई, लगा ग़लत हूँ
लगा लिखा कुछ राष्ट्रविरोधी? क्या ऐसा था?
देख तुम्हारी तानाशाही, लगा गलत हूँ।
– नीरज चौहान