लगाकर दिल उनसे हम,रात भर तड़पते रहे
लगाकर दिल उनसे हम,रात भर तड़पते रहे,
नींद नहीं आई रात भर, करवट बदलते रहे।
एक के बाद एक, दूसरी से दिल लगाते रहे,
इस तरह से मेरे मुसीबत के दिन ढलते रहे।
इश्क की आंच इस कदर तेज कर दी उसने,
इस तरह हम मोम की तरह पिघलते ही रहे।
अरमान जो दिल में थे,उन्हे वे खाक करते रहे,
इस तरह दिल के अरमान दिल में जलते रहे।
करे तो करे रस्तोगी,इस दुःख भरी जिंदगी में,
इस तरह से ये नासूर, दिल में ही पलते रहे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम