लगते हो श्राप
लगते हो श्राप
तुम
डराते रहे हो
आमजन को
श्राप का
भय दिखाकर
लेकिन मुझे
तुम स्वयं
मानवता के लिए
लगते हो श्राप
-विनोद सिल्ला
लगते हो श्राप
तुम
डराते रहे हो
आमजन को
श्राप का
भय दिखाकर
लेकिन मुझे
तुम स्वयं
मानवता के लिए
लगते हो श्राप
-विनोद सिल्ला