*लगता है घर में हैं (गीत)*
लगता है घर में हैं (गीत)
_______________________
लोग चले जो गए, अभी भी लगता है घर में हैं
(1)
उनकी साँसें बसी हुई हैं, घर के हर कोने में
अश्रु गिरे थे जो, अब तक कब सूखे हैं खोने में
गए नहीं वह कहीं, हमारे गहरे भीतर में हैं
(2)
उनकी बोली संस्पर्श घना, वह खुशबू आती है
गई कहाँ मोहक छवि उनकी, अब भी मुस्काती है
रचते हैं हम शब्द, उपस्थित वह हर अक्षर में हैं
लोग चले जो गए, अभी भी लगता है घर में हैं
————————————–
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मोबाइल 9997615451