*लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)*
लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार (कुंडलिया)
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लगता है अक्सर फँसे ,दुनिया में बेकार
दुनिया बंधन एक है ,मरण-जन्म सब भार
मरण-जन्म सब भार ,बुलाता है नभ नीला
तारे चंदा श्वेत , दिव्य संगीत सुरीला
कहते रवि कविराय ,लोक यह मानो ठगता
बीते इतने साल , पराया फिर भी लगता
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451